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भारतीय संस्कृति के दिव्य बालक divine child of indian culture

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  * आठ दिव्य बालक  * हमारे धर्म ग्रंथों में ऐसे अनेक बच्चों के बारे में बताया गया है जिन्होंने कम उम्र में ही कुछ ऐसे काम किए, जिन्हें करना किसी के बस में नहीं था। लेकिन अपनी ईमानदारी, निष्ठा व समर्पण के बल पर उन्होंने मुश्किल काम भी बहुत आसानी से कर दिए। आज हम आपको 8 ऐसे ही बच्चों के बारे में बता रहे हैं- *1. बालक ध्रुव*  बालक ध्रुव की कथा का वर्णन श्रीमद्भागवत में मिलता है। उसके अनुसार ध्रुव के पिता का नाम उत्तानपाद था। उनकी दो पत्नियां थीं, सुनीति और सुरुचि। ध्रुव सुनीति का पुत्र था। एक बार सुरुचि ने बालक ध्रुव को यह कहकर राजा उत्तानपाद की गोद से उतार दिया कि मेरे गर्भ से पैदा होने वाला ही गोद और सिंहासन का अधिकारी है। बालक ध्रुव रोते हुए अपनी मां सुनीति के पास पहुंचा। मां ने उसे भगवान की भक्ति के माध्यम से ही लोक-परलोक के सुख पाने का रास्ता सूझाया। माता की बात सुनकर ध्रुव ने घर छोड़ दिया और वन में पहुंच गया। यहां देवर्षि नारद की कृपा से ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र की दीक्षा ली। यमुना नदी के किनारे मधुवन में बालक ध्रुव ने इस महामंत्र को बोल घोर तप किया। इतने छोटे बालक...

एलियन्स : हिन्दू धर्म में कई लोकों के बारे में उल्लेख hindu alien

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   एलियन्स  : हिन्दू धर्म में कई लोकों के बारे में उल्लेख  ------------------------ एलियंस के संबंध में 10 बातें जानकर चौंक जाएंगे आप दूसरे ग्रहों पर जीवन की तलाश विज्ञान के लिए बेहद चुनौतीभरा काम रहा है और हो सकता है कि यही काम दूसरे ग्रहों के वैज्ञानिक भी करते हों। ऐसे में वे अपने किसी यान द्वारा धरती पर आ जाते हों तो कोई आश्चर्य नहीं! हम भी तो चन्द्र ग्रह, मंगल ग्रह पर पहुंच गए हैं। हमने शनि पर भी एक यान भेज दिया है। अब किसी न किसी दिन मानव भी उन यानों में बैठकर जाने की हिम्मत करेंगे।  यह ब्रह्मांड कितना बड़ा है इसकी कल्पना करना मुश्किल है। बस यह समझ लीजिए कि इस ब्रह्मांड में हमारी धरती रेत के एक कण के बराबर भी नहीं है। इस धरती से कई गुना बड़े करोड़ों ग्रह हमारे ब्रह्मांड में मौजूद हैं। सबसे बड़ी बात यह कि हमारे इस ब्रह्मांड में लाखों गैलेक्सियां हैं। गैलेक्सी को 'आकाशगंगा' कहते हैं। हमारी आकाशगंगा को अंग्रेजी में मिल्कीवे कहते हैं जबकि हिन्दी में क्षीरमार्ग और मंदाकिनी कहते हैं जिसमें पृथ्वी, हमारा सौरमंडल और लाखों तारे स्थित हैं।  वैज्ञानिक कहते हैं कि...

पूर्वजन्म की स्मृति का विज्ञान science of past birth memory

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  ईश्वर की व्यवस्था में , ईश्वर का इन्टरनेट है, ईश्वर की रेम, ईश्वर की हार्ड डिस्क है, ईश्वर का डाटा, ईश्वर की मेमेरी ,ईश्वर की वाईफाई, ईश्वर का ईमेल, ईश्वर की गवरमेंट आदि आदि..... अनेक अनंत ईश्वरीय कानून एवं व्यवस्था से परिपूर्ण यह सृष्टि है। 84 लाख यांनियां 84 लाख एप्स भी कहे जा सकते है। कम्प्यूटर सिस्टम , एन्डायड फोन सिस्टम के बाद स्वयं को वहां रख कर देखो तो लगता है। कि सब कुछ संभवकर्ता का नाम ही ईश्वर है।  In God's system, God's internet, God's RAM, God's hard disk, God's data, God's memory, God's WiFi, God's email, God's government etc etc..... many infinite divine laws And this world is full of order. 84 lakh means can also be called 84 lakh apps. After computer system, Android phone system, if you put yourself there and see, it seems. That the name of the one who makes everything possible is God. भारत में ही सर्वाधिक अघ्ययन चिन्तन मनन अनुसंधान आत्मा और परमात्मा को लेकर हुआ है। इसलिये भारत के पास नतीजे भी अधिकतम श्रेष्ठ हैं। आत्मा और परमात्मा क...

हमारी बौद्धिक क्षमता our intellectual abilities

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  बौद्धिक संपदा की जननी भारत ही है - अरविन्द सिसोदिया  आज विश्व बौद्धिक संपदा दिवस मना रहा है, यह 26 अप्रैल को पूरे विश्व में मनाया जाता है। इस दिवस को मूल रूप से पेटेंट संबंधी नियम कानूनों के प्रचार प्रसार की दृष्टि से अधिक महत्व दिया गया है। अपनी बुद्धि के सृजित या अनुसंधानकृत या परिश्रम से जो बौद्धिक स्तर का ज्ञान अथवा तकनीक या कुछ बिलकुल नया अर्जित किया करते है, उस पर अपने एकाधिकार को, स्वामित्व को बनाये रखना और फिर उससे आय प्राप्त करते रहने की व्यवस्था संबंधी एक नियमावली को पेटेंट कानून के रुप में जाना जाता है और इसी का जनजागरण इस दिवस के माध्यम से किया जाता है। ---------------------- India is the mother of intellectual property - Arvind Sisodia India is the mother of intellectual property - Arvind Sisodia https://arvindsisodiakota.blogspot.com/2023/04/india-is-mother-of-intellectual-property.html The great research handed over by the old generations of India, the Archayas, Dharmacharyas, Rishis, Munis, Sages and Saints, should be taken forward by the new generation of I...

अद्वैत वेदान्त के प्रवर्तक जगद्गुरु आदि शंकराचार्य

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    सर्वदा प्रासंगिक हैं जगद्गुरु शंकराचार्य  -    डॉ. गीताराम शर्मा आज अद्वैत वेदान्त के प्रवर्तक,अप्रतिम संन्यासी सनातन धर्म के पुनरुद्धारक महान समाज शास्ता, अध्यात्म द्वारा भारत की अस्मिता के संस्थापक महान आचार्य आदि शंकराचार्य का जन्मदिन है | जगद्गुरु शंकराचार्य का अवदान बहु आयामी है| यथा उन्होंने वैदिक वाड़मय के नवनीत उपनिषदों, श्रीमद्भगवद्गीता, ब्रह्म सूत्र आदि के भाष्यकार के रुप में अद्वैत वेदान्त का प्रवर्तन किया  | बहुत ललित ,मधुर भक्तिरसभावित  स्तोत्रों की रचना द्वारा मानव मात्र के मन में प्रेम, दया, करुणा, माधुर्य जैसे उदात्त भावों को जाग्रत किया |राष्ट्र की एकता अखण्डता, और समरसता के लिए न  केवल अद्भुत दर्शन दिया अपितु देश की चारों दिशाओं में चार पीठों की स्थापना के द्वारा भौगोलिक एकता को स्थायित्व दिया | ईसा से लगभग ११०० वर्ष पूर्व अवतरित आदि शंकराचार्य ने अपने समय के विविध आचार्यों से सघन शास्त्रार्थ द्वारा न केवल खण्डित होती जा रही अध्यात्म परम्परा को सुदृढ़ किया अपितु खण्ड खण्ड बिखरती आध्यात्मिक चेतना को  अद्वैत वेदान्त का पथि...

Ramayana - the culmination of sacrifice and dedication

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  रामायण - त्याग और समर्पण क़ी पराकाष्ठा Ramayana - the culmination of sacrifice and dedication रामायण - समर्पण क़ी पराकाष्ठा अरविन्द सिसौदिया 9414180151 "लक्ष्मण सा भाई हो, कौशल्या माई हो, स्वामी तुम जैसा, मेरा रघुराइ हो..  नगरी हो अयोध्या सी, रघुकुल सा घराना हो,  चरण हो राघव के, जहाँ मेरा ठिकाना हो.. हो त्याग भरत जैसा, सीता सी नारी हो,  लव कुश के जैसी, संतान हमारी हो..  श्रद्धा हो श्रवण जैसी, सबरी सी भक्ति हो,  हनुमत के जैसी निष्ठा और शक्ति हो... " ये रामायण है, पुण्य कथा श्री राम की।   “रामायण” क्या है हम कथा सुनाते, रामसकल गुण धाम की, हम कथा सुनाते, रामसकल गुण धाम की, ये रामायण है,पुण्य कथा श्री राम की  रामायण का एक छोटा सा वृतांत है, उसी से शायद कुछ समझा जा सकता है। एक रात की बात हैं, माता कौशल्या जी को सोते में अपने महल की छत पर किसी के चलने की आहट सुनाई दी।  नींद खुल गई, पूछा कौन हैं ? मालूम पड़ा श्रुतकीर्ति जी (सबसे छोटी बहु, शत्रुघ्न जी की पत्नी)हैं । माता कौशल्या जी ने उन्हें नीचे बुलाया | श्रुतकीर्ति जी आईं, चरणों में प्रणाम कर खड़ी ...