अद्वैत वेदान्त के प्रवर्तक जगद्गुरु आदि शंकराचार्य

सर्वदा प्रासंगिक हैं जगद्गुरु शंकराचार्य - डॉ. गीताराम शर्मा आज अद्वैत वेदान्त के प्रवर्तक,अप्रतिम संन्यासी सनातन धर्म के पुनरुद्धारक महान समाज शास्ता, अध्यात्म द्वारा भारत की अस्मिता के संस्थापक महान आचार्य आदि शंकराचार्य का जन्मदिन है | जगद्गुरु शंकराचार्य का अवदान बहु आयामी है| यथा उन्होंने वैदिक वाड़मय के नवनीत उपनिषदों, श्रीमद्भगवद्गीता, ब्रह्म सूत्र आदि के भाष्यकार के रुप में अद्वैत वेदान्त का प्रवर्तन किया | बहुत ललित ,मधुर भक्तिरसभावित स्तोत्रों की रचना द्वारा मानव मात्र के मन में प्रेम, दया, करुणा, माधुर्य जैसे उदात्त भावों को जाग्रत किया |राष्ट्र की एकता अखण्डता, और समरसता के लिए न केवल अद्भुत दर्शन दिया अपितु देश की चारों दिशाओं में चार पीठों की स्थापना के द्वारा भौगोलिक एकता को स्थायित्व दिया | ईसा से लगभग ११०० वर्ष पूर्व अवतरित आदि शंकराचार्य ने अपने समय के विविध आचार्यों से सघन शास्त्रार्थ द्वारा न केवल खण्डित होती जा रही अध्यात्म परम्परा को सुदृढ़ किया अपितु खण्ड खण्ड बिखरती आध्यात्मिक चेतना को अद्वैत वेदान्त का पथि...