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Ramayana - the culmination of sacrifice and dedication

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  रामायण - त्याग और समर्पण क़ी पराकाष्ठा Ramayana - the culmination of sacrifice and dedication रामायण - समर्पण क़ी पराकाष्ठा अरविन्द सिसौदिया 9414180151 "लक्ष्मण सा भाई हो, कौशल्या माई हो, स्वामी तुम जैसा, मेरा रघुराइ हो..  नगरी हो अयोध्या सी, रघुकुल सा घराना हो,  चरण हो राघव के, जहाँ मेरा ठिकाना हो.. हो त्याग भरत जैसा, सीता सी नारी हो,  लव कुश के जैसी, संतान हमारी हो..  श्रद्धा हो श्रवण जैसी, सबरी सी भक्ति हो,  हनुमत के जैसी निष्ठा और शक्ति हो... " ये रामायण है, पुण्य कथा श्री राम की।   “रामायण” क्या है हम कथा सुनाते, रामसकल गुण धाम की, हम कथा सुनाते, रामसकल गुण धाम की, ये रामायण है,पुण्य कथा श्री राम की  रामायण का एक छोटा सा वृतांत है, उसी से शायद कुछ समझा जा सकता है। एक रात की बात हैं, माता कौशल्या जी को सोते में अपने महल की छत पर किसी के चलने की आहट सुनाई दी।  नींद खुल गई, पूछा कौन हैं ? मालूम पड़ा श्रुतकीर्ति जी (सबसे छोटी बहु, शत्रुघ्न जी की पत्नी)हैं । माता कौशल्या जी ने उन्हें नीचे बुलाया | श्रुतकीर्ति जी आईं, चरणों में प्रणाम कर खड़ी ...

ईश्वर के दंड अधिकारी शनि देव के कुछ सुप्रसिद्ध दंड shani maharaj

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 ईश्वर के दंड अधिकारी शनि देव के कुछ सुप्रसिद्ध दंड शनि देव के विषय में यह कहा जाता है कि :- शनिदेव के कारण गणेश जी का सिर छेदन हुआ। शनिदेव के कारण राम जी को वनवास हुआ था। रावण का संहार शनिदेव के कारण हुआ था। शनिदेव के कारण पांडवों को राज्य से भटकना पड़ा। शनि के क्रोध के कारण विक्रमादित्य जैसे राजा को कष्ट झेलना पड़ा। शनिदेव के कारण राजा हरिशचंद्र को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ी। राजा नल और उनकी रानी दमयंती को जीवन में कई कष्टों का सामना करना पड़ा था। ------------------------ परिवार व्यवस्था के बिखराव को, संस्कार केन्द्र स्थापित कर रोकें - अरविन्द सिसौदिया  https://arvindsisodiakota.blogspot.com/2023/04/parivar-vyvastha.html परिवार व्यवस्था के बिखराव को, संस्कार केन्द्र स्थापित कर रोकें - अरविन्द सिसौदिया विदेशी षडयंत्रों से अपसंस्कृति पोषित अभियान को रोकने में लगातार केंद्र और राज्यों की सरकारें विफल रही । समाज की सामजिक व्यवस्थाओं का संरक्षण करना भी राजधर्म है, किन्तु यह राजधर्म कभी निभाया ही नहीं गया। इससे समाज में अव्यवस्था का बोलबाला हो गया। इस बिगड़ी स्थिती को ही हम नव युग क...

ईश्वर और धर्म का मर्म - अरविन्द सिसौदिया God and Dharm - Arvind Sisodia

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  ईश्वर और धर्म का मर्म - अरविन्द सिसौदिया  Meaning of God and Dharm & Religion - Arvind Sisodia ईश्वर और धर्म का मर्म - अरविन्द सिसौदिया ईश्वर और धर्म का मर्म - अरविन्द सिसौदिया Meaning of God and Dharm & Religion - Arvind Sisodia - 9414180151 मूलरूप से धर्म,पंथ,सम्प्रदाय,मान्यतायें,परम्परायें,वर्ण,जाती,गोत्र,रिश्ते-नाते,कुटुम्ब,परिवार और स्त्री-पुरूष,पशु-पक्षि, पेड-पौधे सहित चैतनायुक्त समाज व्यवस्था के महत्वपूर्ण अंग हैं। जिनको मानव ने अपने विकास के साथ प्रगाढ़ किया, व्यवस्थित किया, अनुसंधान और शोध किया है। इनकी अपनी अपनी परिभाषायें है, सीमायें हैं दायरे हैं। यह स्वयं से प्रारम्भ होकर ईश्वर तक पहुंचनें का मार्ग है। ईश्वर और उसकी व्यवस्था तथा ईष्वरीय प्रशासान के कर्ताधर्ता देवादि देवों देवियों तक पहुंचना भलेही दुर्लभ हो, किन्तु उनको जानने समझनें का महान परिश्रम पुरूषार्थ सबसे पहले भारत में ही हुआ और जिन्होनें इस कार्य में अपना जीवन समर्पित किया वे सनातन हिन्दू कहलाये। सनातन हिन्दू व्यवस्था पृथ्वी की प्रकृति में 84 लाख प्रकार के शरीर अर्थात योनियां मानती है। स्त्री पुर...

प्रथम पृष्ठ प्रथम पूज्य गणेश जी को समर्पित

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